वॉटरप्रूफिंग करने से पहले करे ये काम, वरना कुछ फायदा नही होगा।




आजकल सभी सोसायटी या फ्लैट में यह समस्या आ रही हैं। पुरानी सोसायटी और पुराने बंगलो के साथ कुछ नए सोसायटीयो मे भी यही प्रॉब्लम बाहर आने लगी हैं। और लीकेज यह एक बहुत गंभीर विषय हैं। कुछ लोग इसे मजाक समझते हैं। लेकिन यहां पर हम सब विस्तारपूर्वक समजाएँगे।

वॉटरप्रूफिंग में लीकेज होना यह इमारत के लिए खतरा क्यों हैं?

कोई भी इमारत कंक्रीट से बनी होती हैं, उसका पूरा ढांचा कंक्रीट के साथ साथ स्टील के सरियों के ऊपर लोड देके खड़ा होता हैं। और कंक्रीट एक ऐसा मटेरियल हैं जो अलग अलग मटेरियल से बनता है। उसमें बहुत छोटे छोटे छेद रहते हैं। जो छेद अपनी आंखों से आसानीसे नही दिखते। अगर आपको चेक करना है तो आप जब स्लैब का कंक्रीटिंग पूरा करते हैं और ऊपर तराई या पानी मारने के लिए पॉन्डिंग करते हैं। 

उसके बाद आप को नीचे से स्लैब गिला दिख जाता हैं। इससे यही साबित होता हैं कि स्लैब 100% वाटरप्रूफ नही होता। लेकिन कंक्रीटिंग के समय कुछ केमिकल मिलाके उसको वाटरप्रूफ बना सकते हैं।

जब कभी कोई बाथरूम, टॉयलेट या टेरेस लिकेज हो जाता हैं, तो कंक्रीट से पानी कहीं से भी कहीं जा सकता हैं। क्योंकि कंक्रीट मे छोटे छोटे मायक्रो छेद राहते हैं। और उसी से लिकेज हुआ पाणी कही भी पहुंच सकता है। उसको कैपीलरी एक्शन कहा जाता हैं। जब भी कोई लीकेज के बाद इन छोटे छोटे छेदों से पानी गजरता हैं वह कही न कही कंक्रीट के अंदर के स्टील को भी लगता हैं। और जब भी स्टील पानी कि सम्पर्क में आता हैं उसका जंग लगना शुरू हो जाता हैं। और कंक्रीट के साथ साथ स्टील की लाइफ कम हो जाती हैं। तो सभी प्रकार के लीकेज बहुत खरनाक होते हैं।



सभी जगह लीकेज की समस्या इतनी क्यों बढ़ रही हैं?


भारतभर जितनी भी नई पुरानी सोसायटी या बंगलो हैं उनको लीकेज की समस्या का सामना करना पड़ रहा हैं। इसका प्रमुख कई कारण हैं। लेकिन ये समस्या आजकल बहुत बढ़ रही हैं क्योंकि हर एक बिल्डर डेवलपर या कॉन्ट्रेक्टर अपना काम जल्दी पूरा करने की कोशिश करते हैं और उस काम या सोसायटी को हैंडओवर करके निकल जाते हैं। और बाद में यह लीकेज की समस्या बाहर आती हैं। उस समय कोई भी मदद नही करता, जिस कांट्रेक्टर का 5 साल या 10 साल का गारंटी रहता हैं वह 1 से 2 बार आता हैं, ऊपर ऊपर थोड़ा कुछ काम करता हैं और निकल जाता हैं। कुछ दिन बाद ओ भी आना बंद करता हैं, और कोई जबाबदारी नही लेता हैं। हालांकि कभी कभी इंटीरियर का काम करते समय भी लीकेज की समस्या उत्पन्न होती हैं। तो इंटीरियर का करते समय भी बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी।



तो आइए जानते हैं कि, 

वॉटरप्रूफिंग करने के पहले क्या क्या सावधानिया लेनी चाहिए?


तोड़फोड़ करने से पहले आपको ये जानना पड़ेगा कि यह लीकेज कौनसे टाइप का हैं। मतलब इनलेट के पाइप से हैं या आउटलेट के पाइप से हैं।

यह जान लेने के बाद पाइप की लाइन के तेल निकाल कर बाजू में रखिये, फिर एक बार चेक करिये, अगर फिर भी लीकेज नही मिला तो कांट्रेक्टर को नीचे का तल और साइड के टाइल को तोड़ने के लिए बोले।

बाथरूम के पूरे टाइल मेंसे लीकेज नही दिखता, लेकिन जहासे पाइप गजरता है वहा लीकेज हो सकता है।

दूसरी बात यह है कि जो टूटे हुए टाइल है वह मार्किट में नही मिलते। हर टाइल का रंग और पैटर्न डिज़ाइन अलग रहता हैं। अगर सेम मिल भी गया फिर भी कलर में थोड़ा बदलाव रहता है। अगर आप थोड़ा हटके सोचते है तो जिस जगह टाइल टूटा है वही पे डार्क रंग के हायलायटर टाइल में नए पैटर्न बना सकते हैं। इससे आपकी थोड़ीसी बचत होगी।

टाइल की तोड़फोड़ करने के बाद एक बार चेक करके देखिए कि लीकेज कहा हैं। अगर नही मिला तो टाइल के नीचे किया हुआ ब्रिक बैट का बेस ब्रेकर से तोड़ना पड़ेगा।

तोड़फोड़ करके निकला हुआ डेब्रिज सीमेंट की खाली गोनी में भरकर बिल्डिंग के नीचे शिफ्ट करवा दे। उसके लिए कांट्रेक्टर के लेबर का उपयोग करें। या उसको काम देने के पहले सभी बताएं।

सब फ्लोर ब्रेक करने के बाद उसको अच्छी तरह से साफ करें, हो सकता हैं तो धो के लीजिये, अब आपको कौस भी लीकेज साफ दिखेगा, अगर प्लंबिंग का हैं तो प्लम्बर को बुल्के ठीक करें, अगर नहानी ट्रैप का हैं तो उसको बदलके अच्छे तरह से फिक्स करें।

सब होने के बाद जहासे आप वॉटर प्रूफिंग कर रहे हो वहाँ फ्लोर बॉटम पे बाहर की तरफ एक 25मिमी का छेद करके उसमें 1.5 फुट लंबा पाइप डाल के उसको साइड से सीमेंट और वटरप्रूफिंग केमिकल डालके फिक्स करिये। यह पाइप बहुत बार आपको लीकेज से बचाता हैं। इसको टेक्निकल भाषा मे स्पॉउट पाइप कहते हैं।

इसके बाद जहासे लीकेज होता था और जहासे लीकेज होने की आशंका हैं वहिपे प्रेशर ग्राउटिंग करके लीजिये। अच्छे कंपनीके केमिकल से एक बेस कोट कर लीजिए। उसके बाद सीमेंट और वाटरप्रूफ केमिकल के मिश्रण से पूरा बेस कोट कर लीजिए। वह बेसकोट मतलब सीमेंट का कोटिंग फ्लोर लेवल के ऊपर 2 फ़ीट तक लीजिये। बॉटम और साइड को बेस कोट पूरा होने के बाद उसको 1 दिन सूखने के लिए छोड़ दीजिये।

दूसरे दिन जहापे बेस कोट किया हैं उसमें पूरा पानी भर दीजिये। और अगले 2-3 दिन तक पानी की लेवल पे ध्यान दीजिए। अगर पनि कम हो रहा हैं तो फिरसे कुछ जगहों पर ग्रोउटिंग करना पड़ेगा। अगर पानी की लेवल वही है तो आपका लीकेज बंद हुआ हैं।

अब आपको लाल इटो से ब्रिक बेट कोबा करना पड़ेगा, लाल इटोको लाइन में बिछाके उसमे सीमेंट, रेती और वॉटरप्रूफिंग केमिकल को मिलाके उसको अच्छी तरह से लेवल करना पड़ेगा। ब्रिक बेट करने के पहले आपको सब आउटलेट पाइप बिछाके फिक्स करने होंगे। सब पाइप फिक्स करके ही ब्रिक बेट कोबा को फिनिश करना होगा।

अगर डेडो के टीले को तोड़ा हैं तो उसी जगह का प्लंबिंग करके उसपे रफ़ प्लास्टर करना होगा।

ब्रिक बैट कोबा बिछाके फिनिश काने के बाद, आखिर में फिनिश कोट, या टॉप कोट करना होगा। टॉप कोट में सीमेंट, रेती और वॉटरप्रूफिंग केमिकल के मिश्रण को एक साथ मिलना होगा। और उसको यूनिफार्म लेवल में फिनिश करना होगा।

अब टाइल फिक्स करने के पहले रेती और सीमेंट का मिश्रण बिछा लीजिये। एक लेवल में बिछाने के बाद टाइल के लेवल मार्क करके टाइल फिक्स कर सकते हैं। 

टाइल का काम खत्म होने के बाद टाइल के जॉइंट को अच्छी तरह से भरना बहुत जरूरी हैं।



इस तरह वॉटरप्रूफिंग करने के पहले सावधानी लेना बहुत जरूरी हैं। हमने जो इस ब्लॉग में चर्चा की हैं उसके कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे इसप्रकार हैं।


1. काम शुरू करने से पहले सफाई बहुत महत्वपूर्ण हैं।

2. अंदर आनेवाले और बाहर जानेवाले पाइप के जॉइंट को चेक करना बहुत जरूरी हैं।

3. पाइप और दीवार के जॉइंट को अच्छी तरहसे भरना होगा।

4. प्रेशर ग्राउटिंग अछि तरह से महत्वपूर्ण पॉइंट पे ही करना होगा।

5. स्पॉउट पाइप को लगाना बहुत जरूरी हैं।

6. बेस कोट करते समय बॉटम और साइड में काम से कम 2 फिट तक कोट करना चाहिए।

7. ब्रिक बेट कोबा में सब जगह अच्छी तरह से सीमेंट और रेति का मिश्रण भरना चाहिए।

8. टॉप कोट में सब पॉइंट अच्छे तरह से फिनिशिंग होनी चाहिये।

9. टाइल लगाने के बाद सब फ्लोर टाइल के जॉइंट अच्छी तरह से भर दे।

10. वॉल के टाइल में अगर ग्रूव रखा हैं, तो कोशिश करिये की कम से कम 2 फिट तक उसे भर दे।





Team
CBEC India