बार बेन्डिंग शेड्यूल कैसे बना सकते हैं।

                       आजकल बहुत सारे नए और फ्रेशर इंजीनियर को यह एक बहुत बडी समस्या लग रही हैं। इसके साथ साथ कई ऐसे अनुभवी इंजीनियर हैं, उनको आज तक बार बेन्डिंग शेड्यूल बनाना नही आता। इसलिए सभी इंजीनियर को मेरी गुजारिस हैं कि यह एक समस्या नही हैं। आज हम इस ब्लॉग के जरिये समझ सकते हैं कि बार बेंडिंग शेड्यूल बनाना आसान काम हैं। बस थोड़ा ध्यान देना पड़ेगा। तो आइए पता करते हैं कि कैसे आसानीसे हम बार बेंडिंग शेड्यूल बना सकते हैं।


नीचे दिए हुए मुद्दों के जरिये हम बार बेंडिंग शेड्यूल बना सकते हैं।

1. ड्रॉइंग को समझ लीजिये।

बहुत सारे इंजीनियर इस स्टेप को स्किप करते हैं और कही न कही ना कही गलती कर बैठते हैं। और फिर डर जाते हैं कि मुझसे गलती हुई हैं। लेकिन आप कोई भी काम करने से पहले ड्रॉइंग पढ़ना और उसको समझना कभी मत भूले।
कोई भी स्ट्रक्चर बनाने के लिए कई सारे ड्रॉइंग लगते हैं, जैसे,
1. आर्किटेक्चरल ड्रॉइंग
2. स्ट्रक्चरल ड्रॉइंग
3. प्लंबिंग ड्रॉइंग
4. इलेक्ट्रिकल ड्रॉइंग
5. सर्वे ड्रॉइंग

           ऊपर दिए हुए ड्राइंग के टाइप के अलावा भी और भी ड्राइंग रहते हैं। लेकिन आपको बार बेंडिंग शेड्यूल बनाने के लिए, सिर्फ दो टाइप के ड्राइंग की जरूरत होती है। जो हैं आर्किटेक्चर ड्रॉइंग और स्ट्रक्चरल ड्रॉइंग।
आप जब बार बेंडिंग शेड्यूल बनाएंगे उससे पहले ये दोनों ड्रॉइंग को पूरे ध्यान से पढ़िए। 

आर्किटेक्चर ड्रॉइंग से आप सभी मेज़रमेंट को समझ जाएंगे और स्ट्रक्चरल ड्राइंग से आप कंक्रीट स्ट्रक्चर कैसा है यह समझ जाएंगे।

स्ट्रक्चरल ड्रॉइंग के तीन (3) प्रकार होते हैं, 

1. स्ट्रक्चरल लेआउट
2. स्ट्रक्चरल शेड्यूल
3. जनरल नोट्स
                      तिनो भी बहुत महत्वपूर्ण हैं, स्ट्रक्चरल लेआउट से आप कौनसा स्ट्रक्चर कहा पे है यह पता लगा सकते हैं, और स्ट्रक्चरल शेड्यूल से आप कौनसे स्ट्रक्चर को कौनसा बार लगाना हैं और कैसे लगाना हैं यह दिया जाता हैं। और जनरल नोट्स में आपको सभी स्ट्रक्चर जैसे स्टैरकेस, फुटिंग, कॉलम, बीम, स्लैब, छज्जा, लिफ्ट का परदी ऐसे स्ट्रक्चर के टिपिकल ड्राइंग दिए जाते हैं। और साथ मे लैप लेंथ, कवर, एल कितना लेना हैं, स्टिरप का शेप कैसा रहेगा इसकी जानकारी मिल जाएगी।
(उदाहरण: अगर स्ट्रक्चरल लेआउट में कॉलम सी1 का लोकेशन दिया हैं। तो स्ट्रक्चरल शेड्यूल में कॉलम सी1 का साइज 600X300 दिया रहता हैं और आगे 6-16मिमी मतलब 16मिमी के 6 मेन बार लगाना हैं। और 8@150मिमी सी/सी मतलब 8मिमी बार की लिंक और स्टिरप 150मिमी गैप से लगाना हैं।)

2. बार बेंडिंग का फॉरमेट बनाईये।

               ऊपर दी गयी जानकारी को सटीक तरीकेसे समझने के लिए एक फॉरमेट की जरूरत होती हैं जिससे सभी इनफार्मेशन अच्छी तरह से समझ सको और दूसरों को समज़ा सको। इसलिए एक फॉरमेट बनाना चाहिए। जिसमें ऊपर मौजूद पूरी इनफार्मेशन को उसमे दिखाया जा सके। निचे जो फॉरमेट दिखाया हैं यह बस इनफार्मेशन के लिए दिया हैं, आप इसको या इसके जैसा दूसरा भी बना सकते हो। यह एक एक्सेल में बनाया हुआ फॉरमेट हैं। 

3. फॉरमेट को समझकर बनाइये और समझ लीजिए।

१. पहले कॉलम में सीरियल नंबर है। जिससे आपको पता चलेगा कि कितने स्ट्रक्चर है।

२. दूसरे कॉलम में आपको स्ट्रक्चरल शेड्यूल के हिसाब से स्ट्रक्चर का नाम डालना होगा। (उदाहरण: सी1,सी2,सी3..., बी1, बी2, बी3....)

३. तीसरे कॉलम नंबर का हैं जिसमें उसी नाम के कितने स्ट्रक्चर है। एक हैं तो एक, दो हैं तो दो.... जितने स्ट्रक्चर एकसमान हैं उनके नंबर इस कॉलम में डाल सकते है।

४. चौथे, पाचवे और छठे कॉलम में आपको उस स्ट्रक्चर की साइज जो स्ट्रक्चरल शेड्यूल के ड्राइंग में दी गयी है वही इसमे डालनी है। मतलब लंबाई की जगह लंबाई चौड़ाई की जगह चौड़ाई और अभी आर्किटेक्चर ड्राइंग में उस स्ट्रक्चर की ऊंचाई या लंबाई दी जाती हैं वही इस कॉलम में डालके रख सकते हैं। (उदाहरण: 1. अगर कॉलम सी1 की साइज 600 X 300 है तो लंबाई और चौड़ाई में डाल सकते हैं। और ऊंचाई को आर्किटेक्चर ड्रॉइंग में एक फ्लोवर की ऊंचाई 3मी है तो ऊंचाई के कॉलम में डाल सकते हैं। 2. अगर बीम बी1 की साइज 300 X 600 है तो चौड़ाई और ऊंचाई में डाल सकते हैं। और लंबाई को आर्किटेक्चर ड्रॉइंग में देखकर उस बीम की जितनी लंबाई दिखाई है वही लंबाई के कॉलम में डाल सकते हैं।

५. सातवे कॉलम में आप कंक्रीट की क्वांटिटी निकाल सकते है। जो बार बेंडिंग शेड्यूल बनाने में काम नही आती लेकिन बार बेंडिंग शेड्यूल का काम पूरा होने के बाद स्टील का कांस्टेंट देखने के लिए काम आता हैं। मतलब आपने जो बार बेंडिंग शेड्यूल बनाया हैं वो बराबर हैं या गलत हैं यह चेक करने के लिए हम इसका उपयोग कर सकते है।

६. आठवाँ कॉलम हैं बार डिस्क्रिप्शन , मतलब जिस स्ट्रक्चर का शेड्यूल हम बना रहे हैं उसमें कई सारे बार होंगे, तो उसमें जो बार का हम नापी ले रहे हैं उस बार का विवरण इस कॉलम में हम दे सकते हैं जिसका बहुत उपयोग है।

७. नौवे कॉलम में आपको बार का डायमिटर डालना होगा। जिस बार का हमने विवरण लिखा उसी बार का डायमिटर इस कॉलम में लिखना होगा।

८. दसवे कॉलम में बार के नग एवं स्टिरप के बीच का स्पेसिंग कितना हैं यह लिखना होगा।

९. जिसके बाद का कॉलम है शेप ऑफ बार मतलब बार का शेप कैसा होगा। उसको कैसे कैसे बेंड करना पड़ेगा या बेंड किया है। यह एक एक करके कॉलम ए, बी, सी, डी, ई, एफ, जी, एच, आय इस कॉलम में डालके रख दो। और उसमें सब बार का नाप डालने के पहले उसका कवर वजा करो, जैसे 550X300 का कॉलम है तो दोनो बाजूका 40मिमी कवर को वजा करके वो 550-40-40=420 ही लेना पड़ेगा।

१०. अगला कॉलम है टोटल कटिंग लेंथ, मतलब जिस बार का हमने नाप लिया हैं, वो किस शेप में बेंड किया है। उसके अलग अलग मापी को इस कॉलम में आप उस नापी को एकसाथ जोड़ सकते हो। उसके लिए आप एक्सेल का =Sum( L12:T12) यह फार्मूला इस्तेमाल कर सकते हैं।


११. टोटल नंबर के कॉलम में आप को अलग अलग तरीकेसे फॉर्मूलों का इस्तेमाल करना पड़ेगा। जैसे फुटिंग का शेड्यूल बना रहे हो तो और अगर शार्ट साइड के बार ले रहे हो तो लांग साइड को स्पेसिंग से भाग दो और उसमें एक मिलाओ, और उसको नंबर ऑफ फुटिंग से गुणाकर करो तो शार्ट साइड के लिए कितने बार लगेंगे उसका उत्तर मिलेगा।

अगर आप कॉलम के मेन बार का बना रहे है तो, आपको सिर्फ एक कॉलम में कितने बार हैं उसका गुणाकार कितने कॉलम है उसके साथ करना है। आप फ़ोटो में देख सकते है।

अगर आप स्टिरप का नंबर निकलना चाहते है तो, आपको कॉलम की ऊंचाई या बीम की लंबाई को स्टिरप के स्पेसिंग से भागाकार करना है और उसमें एक मिलाना है। आपको कितने स्टिरप लगेंगे इसका उत्तर मिल जाएगा।



१२. इसके बाद आता हैं मेन रिजल्ट मतलब अबतक जो काम किया उसका नतीजा इस आखरी 8 कॉलम में मिल जाएगा। जैसे इसमे आपको एक ही काम करना है जिस डायमिटर के बार का कटिंग लेंथ और नंबर निकाल के रखे थे। उन दोनो आकड़ो का गुणाकार करना हैं। तब हमको एक बार की उस स्ट्रक्चर के लिए कितनी लेंथ होगी ये पता चल जाएगा। उस लंबाई को आप उसके पर मिटर वजन के साथ गुणाकार कर सकते हो। तभी आपको उस स्ट्रक्चर के लगने वाले बार का वजन मिल जाएगा। पिक्चर में दिखाए गए एक्सेल के (=if) के फार्मूले का इस्तेमाल करके आप आसानी से कोई भी स्ट्रक्चर का बार बेंडिंग शेड्यूल बना सकते है।


हर बार का एक मीटर का वजन पता करने का फार्मूला = बार के डायमिटर का वर्ग / 162.
6 मिमी- 0.222 किग्रा/मि
8 मिमी- 0.395 किग्रा/मि
10 मिमी- 0.617 किग्रा/मि
12 मिमी- 0.889 किग्रा/मि
16 मिमी- 1.580 किग्रा/मि
20 मिमी- 2.469 किग्रा/मि
25 मिमी- 3.858 किग्रा/मि
32 मिमी- 6.321 किग्रा/मि

१३. एक (१) क्यों मिलना पड़ता है। हैम जब भी कोई नापी करते है तो 1,2,3,4,5....ऐसे करते है, लेकिन हम जब फार्मूला लगते है तो कंप्यूटर या एक्सेल 0,1,2,3,4,5 ऐसे नापी करता है। (उदाहरण: अपनी 30सेमी की स्केल को ध्यान से देखो, उसमे 30 सेमि दिखता है लेकिन असल मे उसका नापना 0 यानी शून्य से शुरू होता है। ) वैसेही हम जब भी कोई स्ट्रक्चर को स्टील बांधते है तो उस 0 यानी शून्य की जगह भी स्टील बांधना पड़ता है। इसलिए हर बार एक(1) मिलना पड़ता हैं।

१४. बार बेंडिंग शेड्यूल बनाने के बाद उसमें 3% वेस्टेज मिलादो, जो साइट पर एक्स्ट्रा कटिंग हो जाता है। या ड्राइंग में बदलाव के कारण खराब हो जाता हैं।

१५. ग्राउंड +8 मंजिल रेसिडेंशियल बिल्डिंग को साधारण 3 से 4 kg/Sqft इतना स्टील लगता है।

देखा कितना आसान है बार बेंडिंग शेड्यूल बनाना, अभी किसी इंजीनियर को बार बेंडिंग शेड्यूल बनानेसे डर नही लगेगा।

आपके कुछ सवाल है तो आप पूछ सकते है। इसी फॉर्मेट की सॉफ्ट कॉपी चाहिए तो आप मुझे director.cbec@gmail.com  पे मेल कर सकते हैं हम आपको इसकी सॉफ्ट कॉपी भेज देंगे।